भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने जब Twitter पर सुदृढ़ लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में लिखा। साथ ही उन्होंने खुद को गाँव का होने पर गर्व महसूस किया। उन्होंने लिखा कि, उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उन्हें इस सर्वोच्च पद का दायित्व-निर्वहन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
रामनाम कोविंद ( Ramnath Kovind ) ने Twitter पर लिखा,
“मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह कर के दिखा दिया।”
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इसके बाद लोगों ने इनकी तरफ की तो वहीं कुछ लोगों ने बेरोजगारी को लेकर कुछ सवाल खड़े किए। एक यूजर ने रिप्लाई देते हुए लिखा,
“लोकतंत्र की ही दुहाई देते हुए हम प्रशिक्षित युवा अपने भारत देश के प्रथम नागरिक, महामहिम राष्ट्रपति जी से यही अनुरोध करते हैं कि महोदय जी यू0 पी0 के मुख्यमंत्री जी को प्राथमिक में नई शिक्षक भर्ती का सुझाव अवश्य दे जिससे हम बेरोजगार युवाओं को समाजसेवा का अवसर प्राप्त हो सके।”
तो वहीं अन्य यूजर ने राष्ट्रपति की शक्तियों को पर जोर देते हुए लिखा, “अपनी शक्ति का प्रयोग कीजिये… वरना देश भूल रहा है राष्ट्रपति के पास भी कुछ शक्तियां है। कहीं ये पद ही विलुप्त न हो जाए। जो चीज लम्बे वक्त से प्रयोग मे न हो वो प्रायः विलुप्त हो जाया करती है।”